Madhu varma

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लेखनी कविता -कार - बालस्वरूप राही

कार / बालस्वरूप राही


पापाजी की कार बड़ी है,
नन्ही-मुन्नी मेरी कार।
टाय-टाय फीस उनकी गाड़ी,
मेरी कार धमाकेदार।

उनकी कार धुआं फैलाती,
एक रोज होगा चलन,
मेरी कार साफ-सुथरी है,
सब करते इसका गुणगान।

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